Makar Sankranti 2024: हिंदू धर्म में मकर संक्रांति बहुत खास पर्व माना गया है, इसी दिन पोंगल, उत्तरायण भी मनाते हैं. मकर संक्रांति की तारीख को लेकर कंफ्यूजन है तो यहां जानें सही डेट, मुहूर्त मिथिला पंचांग के अनुसार 15 जनवरी को सुबह 8:30 में एवं काशी पंचांग के अनुसार प्रातः काल 8:42 मिनट पर सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस कारण इसी दिन पर्व मनाया
Makar Snakranti 2024 Date
साल 2024 का आगमन मकर संक्रांति के उत्साह से होगा। इस साल में 12 संक्रांतियां होंगी, लेकिन मकर संक्रांति को विशेष महत्व दिया जाएगा। इस दिन, सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेगा। पंचांग के अनुसार 15 जनवरी को सुबह 8:30 से शुरू हो रहा है।
इस बार मकर संक्रांति के अवसर पर, लोगों को दो तिथियों के बीच उलझन महसूस हो रही है। इसके बावजूद, संक्रांति तब होती है जब सूर्य देव अपनी राशि में परिवर्तन करते हैं और मकर राशि में पहुंचते हैं। इस बार, सूर्य देव 15 जनवरी को सुबह 2 बजकर 54 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इसलिए, 15 जनवरी को सोमवार को मकर संक्रांति का आयोजन किया जाएगा। इस दिन, गंगा स्नान, पूजा, जप-तप और दान करने का विधान है। शास्त्रों में यह उल्लेख है कि मकर संक्रांति तिथि पर सूर्य देव उत्तरायण की दिशा में होते हैं, जिसे देवताओं के लिए शुभ माना जाता है। इस समय, प्रकाश में वृद्धि होती है और धार्मिक मान्यता के अनुसार, मकर संक्रांति को स्नान-ध्यान कर, पूजा-पाठ करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है।
मकर संक्रांति शुभ संयोग (Makar Sankranti 2024 Shubh Sanyog)
15 जनवरी 2024 को, 77 वर्षों के बाद, मकर संक्रांति के दिन वरीयान योग और रवि योग का एक अद्वितीय संयोग उत्पन्न हो रहा है. इस मौके पर, बुध और मंगल भी धनु राशि में समाहित होकर एक साथ विराजमान रहेंगे।
- वर्ष योग – 15 जनवरी को यह योग प्रात: 2 बजकर 40 मिनट से लेकर रात 11 बजकर 11 मिनट तक रहेगा।
- रवि योग – 15 जनवरी को सुबह 07 बजकर 15 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 07 मिनट तक रहेगा।
- सोमवार – पांच साल बाद मकर संक्रांति सोमवार के दिन पड़ रही है। इस दौरान सूर्य संग शिव का आशीर्वाद भी प्राप्त होगा।
मकर संक्रांति 2024 मुहूर्त (Makar Snakranti 2024 Muhurat)
शास्त्रों के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदी में स्नान-दान करने से कभी न खत्म होने वाला पुण्य प्राप्त होता है।
- मकर संक्रान्ति का पुण्य काल सुबह 06.41 से शाम 06.22 तक है, जिसकी अवधि 11 घंटे 41 मिनट है।
- मकर संक्रान्ति महा पुण्य काल सुबह 06.41 से सुबह 08.38 तक है, जिसकी अवधि 1 घंटा 57 मिनट है।
कब से शुरू होगा पुण्य काल
इस बार पुण्यकाल 15 जनवरी को सुबह 7 बजे से शुरू होगा, जो सूर्यास्त शाम को 5 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। इस समय में विभिन्न पूजा और धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जा सकता है, जैसे कि स्नान, दान, और जाप। मकर संक्रांति का महापुण्य काल प्रातः काल 7 बजे से प्रातः काल 8 बजकर 46 तक रहेगा।
मकर संक्रांति पूजन विधि (Makar Sankranti 2024 Pujan Vidhi)
प्रातःकाल इस विशेष दिन, लाल फूल और अक्षत से सजा हुआ लोटा लेकर स्नान करें और फिर सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित करें। सूर्य के बीज मंत्र का जाप करना न भूलें। इसके बाद, श्रीमदभागवद या भगवद्गीता के कोई एक अध्याय का पाठ करें। नए अन्न, कम्बल, तिल, और घी का दान करें। भोजन में नए अन्न से बनी खिचड़ी बनाएं और इसे भगवान को समर्पित करके भोजन करें। भोजन को प्रसाद रूप में स्वीकार करना महत्वपूर्ण है। संध्या काल में अन्न का सेवन न करें। इस दिन, गरीब व्यक्ति को बर्तन और तिल का दान करने से शनि देवता की कृपा प्राप्त होती है और उससे सभी पीड़ाएं दूर होती हैं।
मकर संक्रांति महत्व (Makar Snakranti Impostance)
सूर्य के उत्तरायण को देवता का शुभ समय माना जाता है। इस दिन स्वर्ग के द्वार खुलते हैं और गीता में भी यह कहा गया है कि जो उत्तरायण और शुक्ल पक्ष में देह त्यागता है, उसे जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति मिल जाती है। इसी कारण भीष्म पिता ने बाण लगने के बाद प्राण त्यागने के लिए उत्तरायण का इंतजार किया ताकि उन्हें मोक्ष मिल सके। शास्त्रों में इस दिन को मकर संक्रांति कहकर बताया गया है और यह दिन गंगा स्नान का भी महत्वपूर्ण है, जिससे सात जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है।
इसके अलावा, मकर संक्रांति पर तिल, जूते, अन्न, गुड़, वस्त्र, और कंबल का दान करने से शनि और सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन किए गए दान का सीधे भगवान को अर्पित होता है और इससे व्यक्ति को आनंद और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन से दिन बड़े होने लगते हैं, जबकि रातें छोटी होने लगती हैं।
मकर संक्रांति पर दान का समय
मकर संक्रांति के दिन, स्नान के पश्चात सूर्य सहित नवग्रहों की पूजा और भगवान विष्णु की आराधना के बाद, दान का कार्य प्रारंभ करना सुझावनीय है। आप अपनी श्रद्धा के अनुसार वस्त्र, अन्न, और धन का दान कर सकते हैं। मकर संक्रांति के दिन, तिल और खिचड़ी का दान विशेष रूप से पुण्यकारी माना जाता है। दान का समय सुबह 7 बजे से सूर्यास्त पूर्व तक रहेगा, जो एक अत्यंत शुभ मुहूर्त है। इस में आप ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को खिचड़ी, गुड़, काले तिल, ऊनी कपड़े, आदि दान कर सकते हैं। सूर्य भगवान का आशीर्वाद आपके साथ रहेगा।
मान्यता है कि मकर संक्रांति से सूर्य के उत्तरायण पर देवताओं का सूर्योदय होता है और दैत्यों का सूर्यास्त होने पर उनकी रात्रि प्रारंभ हो जाती है। उत्तरायण में दिन लम्बा होता है और रातें छोटी होती हैं। वास्तविकता में, सूर्य नारायण बारह राशियों में एक-एक माह के लिए विराजते हैं। जब भास्कर देव कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक और धनु राशि में रहते हैं, तो इसे दक्षिणायन कहा जाता है। इसके बाद, सूर्य नारायण मकर, कुंभ, मीन, मेष, वृष और मिथुन राशि में क्रमशः एक-एक माह के लिए रहते हैं, इसे उत्तरायण कहा जाता है। जिस दिन भगवान सूर्य उत्तरायण होते हैं, उस तिथि को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस दिन, सूर्य नारायण मकर राशि में प्रवेश करते हैं।